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9 साल बाद अपने मंदिर में विराजमान हुई मां धारी देवी, 2013 में मूर्ति हटते ही आई थी केदारनाथ आपदा

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9 साल के बाद शनिवार को चारधामों की रक्षक और देवभूमिवासियों की आराध्य मां धारी देवी को शुभ मुहूर्त में उनके मूल स्थान के पर बने नए मंदिर में स्थापित किया गया। मंदिर के पुजारियों के अनुसार तड़के साढ़े तीन बजे से प्रतिमा को शिफ्ट करने की प्रक्रिया का शुभारंभ किया गया था। सुबह 7:55 पर चर लग्न में माता की प्रतिमा को पुरानी मंदिर से नए मंदिर के लिए चलाया गया और 8:10 पर स्त्री लग्न में मंदिर में मूर्ति की स्थापना की गई। जिसके पश्चात नए मंदिर में मां धारी देवी की पहली आरती की गई। 10 बजे के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल गए दिए गये। माता के दर्शनों के लिए आए श्रद्धालुओं में अपार आनंद दिखाई दिया।

आज इस शुभ अवसर पर मंदिर को लगभग 25 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। मंदिर की सजावट देखते ही बन रही थी। स्थानीय लोगों का कहना था कि माता को 9 साल बाद अपने मूल स्थान पर फिर से स्थापित किया गया है। जिससे लोगों में अपार खुशी है और मां प्रदेश पर आने वाली विपत्तियों का हरण करेंगी।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत भी पूजा के लिए मां धारी देवी के मंदिर पहुंचे और माता का आशीर्वाद लिया। वही धन सिंह रावत ने कहा कि मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में सुविधाओं को बढ़ाने के लिए वृहद स्तर पर काम किया जाएगा। मंदिर तक जाने वाली सड़क को पक्का किया जाएगा और धारी देवी मंदिर के परिसर को सजाने और संवारने के लिए सरकार द्वारा योजना बनाकर कार्य किया जाएगा। सुबह 7:55 पर चर लग्न में माता की प्रतिमा को पुरानी मंदिर से नए मंदिर के लिए चलाया गया और 8:10 पर स्त्री लग्न में मंदिर में मूर्ति की स्थापना की गई। जिसके पश्चात नए मंदिर में मां धारी देवी की पहली आरती की गई। 10 बजे के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल गए दिए गये। माता के दर्शनों के लिए आए श्रद्धालुओं में अपार आनंद दिखाई दिया।

पौराणिक कथा के अनुसार धारी देवी की प्रतिमा पौराणिक काल में बाढ़ में बह कर धारी गांव के पास एक चट्टान के पास रुक गई थी। गांव वालों ने जब मूर्ति का विलाप सुना तो वे लोग उस स्थान पर पहुंचे जहां प्रतिमा रूकी हुई थी। वहां पर प्रतिमा से उनको आवाज सुनाई दी कि उनकी मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित करें। एक कहानी यह भी है कि माता की मूर्ति ने धारी गांव के एक व्यक्ति को स्वप्न में दर्शन देकर अपने रुकने का स्थान बताया था और उन्हें मूर्ति को निकालकर मंदिर बनाने व मूर्ति स्थापित करने को कहा था। इसके बाद धारी गांव के लोगों ने मूर्ति की स्थापना की थी और विधि विधान से माता की पूजा की जाने लगी थी।

पुजारियों के अनुसार द्वापर युग से मां धारी देवी की यह प्रतिमा यहां पर स्थापित थी। माता की मूर्ति के बारे में यह भी प्रचलित है कि यहां प्रतिदिन एक चमत्कार होता है। मां धारी देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। सुबह के समय मां एक कन्या की तरह दिखाई देती है जबकि दोपहर के समय वह युवती का रूप धर लेती हैं। वहीं शाम के समय मां के दर्शन एक बूढ़ी महिला के रूप में होते हैं।

श्रीनगर जलविद्युत परियोजना के चलते मां धारी देवी का मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया था। जिसके बाद मां धारी देवी की प्रतिमाओं को अपलिफ्ट किया गया था। स्थानीय लोगों द्वारा प्रतिमाओं को अपलिफ्ट किए जाने का घोर विरोध किया गया था लेकिन परियोजना कंपनी ने उनकी एक न सुनी और प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया था। जिसके बाद केदारनाथ में भीषण जल प्रलय आया था। स्थानीय लोगों का कहना था कि माता की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ करने का नतीजा यह जलप्रलय था जिसने हजारों लोगों की जान ले ली।

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