हरियाणा में फरीदाबाद में मैजिक ऑफ बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं आर्ट यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टर संजय कुमार टम्टा बुद्धिस्ट को आज साउथ के एक्टर गलगल द्वारा डाक्ट्रेट की मानद उपाधि फरीदाबाद में प्रदान की गई। सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु उन्हे यह उपाधि प्रदान की गई है।
संजय कुमार टम्टा बुद्धिस्ट का जन्म बागेश्वर खर्कटम्टा के तोक नदीला में हुआ पिताजी का नाम राजेंद्र प्रसाद टम्टा माता का नाम बीना टम्टा तीन भाई बहिनों में सबसे बड़े संजय यूं तो बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। 1999 में अचानक पिताजी का देहांत हो जाने से गहरा सदमा पंहुचा। वक्त के थपेड़े इंसान को कमजोर कर देते है। पर वक्त ही मजबूत बनाता है। प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात अल्मोड़ा से स्नातक डिग्री स्नातकोत्तर एवं एसआईएमटी रुद्रपुर से b.ed की डिग्री 2005 में करने के पश्चात इस दौरान विशिष्ट बीटीसी कर प्राथमिक विद्यालय राजकीय प्राथमिक विद्यालय खोला में 2007 में प्रथम नियुक्ति प्राप्त करने के बाद सहायक अध्यापक के तौर पर शिक्षक कार्य की शुरुआत की। पारिवारिक पृष्ठभूमि सामाजिक क्षेत्र के लोगों से जुड़ी हुई थी। सामाजिक परिवार से ताल्लुक एवं राय बहादुर मुंशी हरिप्रसाद टम्टा जी के परिवार से ताल्लुक रखने के कारण संजय टम्टा बुद्धिस्ट को भी सामाजिक कार्यों में काफी रुचि थी। संजय 2007 में सरकारी सेवा में आने के पहले छात्र जीवन में भी छात्र छात्राओं किंकफी मदद किया करते थे। सरकारी सेवा में आने के पश्चात 2007 में बामसेफ संगठन से जुड़े कई सामाजिक मुद्दों पर अपनी नजर बनाते हुए। सामाजिक कार्यों में प्रतिभा करना शिक्षण के साथ-साथ गरीब बच्चों को आर्थिक मदद पहुंचाना और हर वर्ष पौधारोपण करना इत्यादि सामाजिक कार्यों में अपनी भागीदारी निभाने का बीड़ा उठाए हुए संजय टम्टा ने समाज में एक अलग पहचान बनाई धीरे-धीरे समाज के अनेक पहलू को छुआ हमेशा सामाजिक कार्यों में हिस्सा लिया 2012 में सरकारी नौकरी में प्रमोशन में प्रतिनिधित्व को समाप्त करने के आन्दोलन में बढ़ चढ़ कर प्रतिभाग किया देहरादून, दिल्ली गैरसैंण, अल्मोड़ा आदि जगहों पर समाज के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई वक्त के साथ-साथ करवा चला रहा। अपने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए लगातार सामाजिक जागरूकता के अभियानों को गति प्रदान करते हुए अनेक बुजुर्गों माता बहनों हेतु आर्थिक मदद करना एवं सामाजिक क्षेत्र में अनेक जागरूकता अभियानों के चलते 2017 में पवित्र भागीरथी अभियान के फाउंडर मेंबर के रूप में 21 सप्ताह तक जिला अधिकारी बागेश्वर मंगेश घिल्डियाल जी और अन्य साथियों के साथ वृहद स्तर पर कार्य किया। भागीरथी नदी को स्वच्छ करने की मंशा लिए निरन्तर कार्य के पश्चात नदी को स्वच्छ किया उसके पश्चात भागीरथी नदी के मूल स्थल में वृहद पौधारोपण वृक्ष मित्र श्री किशन सिंह मलड़ा व अन्य साथियों के साथ किया गया। इस दौरान कई बुजुर्ग महिला, पुरुष, बच्चों को अस्पताल पहुचाने बागेश्वर में ईलाज न होने पर हल्द्वानी में इलाज हेतु भेजना वहां भी सम्भव न हो तो ऋषिकेष एम्स आदि स्थानों में भेज कर कई लोगों की जान बचाई। साथ ही रेड क्रॉस सोसाइटी के माध्यम से एवं अपने व्यक्तिगत रूप से आर्थिक मदद के साथ-साथ ब्लड डोनेशन कार्यक्रम में प्रतिभा करना और लोगों को ब्लड महिया करने में एक मुहिम के तौर पर उसको अंजाम तक पहुंचाने हेतु लगातार अग्रसर वक्त के साथ-साथ अचानक 2020 एक भयंकर बीमारी इस पूरी दुनिया ने देखी उसे नाम दिया गया कोरोना कोविड-19 ऐसा लगता था मानो यह दुनिया मानव विहीन हो जाएगी और कुछ भी नहीं बचेगा लेकिन वक्त कहां रुकता है इस दौर में बहुत सी मौतें उनकी आंखों के सामने हुई। बेरोजगारी के दौर में काफी लोगों के घरों के चूल्हे नहीं जल रहे थे अपनी स्कूटी में समान लिए हुए घर घर जाना और अपने जीवन को खतरे में डालते हुए लोगों की सहायता करना और लोगों तक मदद पहुंचाना साथ ही निरंतर सेवा देते हुए रोडवेज स्टेशन और आपातकाल केंद्र एवं विकास भवन में रात्रि ड्यूटी करना यह सभी कार्य उसे दौरान इनके द्वारा किए गए। 2022 में भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा इन्हें भगवान बुद्ध अवार्ड से नवाजा गया तभी से बुद्ध के विचारों को ग्रहण करते हुए बुद्ध से बहुत प्रभावित होकर अपने आप नाम के आगे बुद्धिस्ट लगना शुरू कर दिया और धम्म की शरण में पहुंच गए बुद्ध शरणं गच्छामि धम्म शरणं गच्छामि।