जीवन जोशी ने बोर्ड परीक्षा के दिन खोया अपने पिता को लेकिन फिर भी नही डिगी उसकी हिम्मत, श्रेष्ठता सूची में बनाया स्थान। जीवन ने पहले पिता का अंतिम संस्कार किया। उसके बाद परीक्षा दी। दुख की इस घड़ी में भी इस उसने हौसला नहीं छोड़ा। जीवन की हिम्मत ही कही जाएगी कि कल घोषित परीक्षा परिणाम में 94.80 प्रतिशत अंक हासिल कर वह प्रदेश की श्रेष्ठता सूची में 21वें नंबर पर रहे।
कपकोट के दूरस्थ गांव पोथिंग के रहने वाले जीवन साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता तारा तारा दत्त जोशी गाजियाबाद की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। नौकरी के दौरान ही उन्हें कैंसर हो गया। करीब दो साल तक इलाज कराने के बाद इस साल बोर्ड परीक्षा के दौरान उनका निधन हो गया। जिस दिन उनका निधन हुआ, उनके पुत्र जीवन की सामाजिक विज्ञान की परीक्षा थी। एक ओर परीक्षा का तनाव और दूसरी ओर पिता के निधन से जीवन पर दुखों का पहाड़ टूट गया। ऐसे विपरीत हालात में भी जीवन ने हौसला नहीं हारा। उन्होंने पहले पिता का अंतिम संस्कार किया और बाद में परीक्षा दी।
जीवन ने बताया कि जिस दिन उनके पिता का निधन हुआ, उनका सामाजिक विज्ञान का पेपर था। गमगीन माहौल में दिए गए इस प्रश्नपत्र में उन्हें 98 अंक मिले हैं। पिता के निधन के चार दिन बाद उन्होंने संस्कृत की परीक्षा दी थी जिसमें उन्हें 94 अंक मिले। जीवन को हिंदी में 88, गणित में 97, विज्ञान में 97 और अंग्रेजी में 93 अंक मिले हैं।
जीवन ने बताया की पिता की बीमारी का दौर उनके परिवार के लिए काफी मुश्किल भरा था। इलाज में काफी धन खर्च हुआ। उनके देहांत के बाद घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। माता लक्ष्मी देवी गृहिणी हैं। बड़ी बहन इंटर पास करने के बाद प्राइवेट कॉलेज कर रही हैं। पिता के जाने के बाद परिवार वालों और रिश्तेदारों से मदद मिली। शिक्षकों का भी सहयोग मिला लेकिन अब आगे की पढ़ाई के लिए गांव से बाहर जाना पड़ेगा। जीवन का कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण परेशानी तो है लेकिन उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा है।