क्यूआर कोड मामले में उत्तराखंड पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा। बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम के पास चंदा मांगने के लिए लगाए गए क्यूआर कोड मामले में दर्ज किया मुकदमा
उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने जानकारी देते हुए कहा की बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की तहरीर पर दर्ज किया गया मुकदमा। अज्ञात के खिलाफ दर्ज कर जाँच की शुरू कर दी गई है।
दरअसल केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल तो बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुले हैं। कपाट खुलने के दिन दोनों धामों में डिजिटल पेंमेंट के क्यूआर कोड के हर्डिंग लगे रहे। कई भक्त बदरी-केदार मंदिर समिति के क्यूआर कोड समझकर दान भी करते रहे। लेकिन झटका तब लगा जब मंदिर समिति ने यह कह दिया कि यह क्यूआर कोड मंदिर समिति ने नहीं लगवाये हैं। तब तक अनेक श्रद्धालु डिजिटल पेमेंट कर चुके थे। हालांकि ये पता नहीं चल सका है कि कितने श्रद्धालुओं ने कितनी रकम क्यूआर कोड से दान की।
दो दिन तक यह क्यूआर कोड मंदिरों में लगे रहे। चौंकाने वाला सवाल ये है कि मंदिर समिति को इस बारे में क्यों नहीं पता चला। जबकि मंदिर समिति के लोग दोनों धामों में बड़ी संख्या में मौजूद हैं और मंदिर समिति की तमाम गतिविधियों का संचालन वहीं से करते हैं। खैर अब जिसने भी यह क्यूआर कोड लगाये थे, वह दान के नाम पर कई पैसे ले गया और भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर गया। जानकारी के मुताबिक कई भक्त इस क्यूआर कोड पर डिजिटल पेमेंट भी कर चुके हैं।
चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा कि बदरी-केदार मंदिर समिति के अधीन केदारनाथ मंदिर है। इसके बावजूद मंदिर समिति को मालूम नहीं है कि केदारनाथ मंदिर के आगे क्यू आर कोड किसने लगाया है। उन्होंने कहा कि मंदिर समिति में कई तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिसको लेकर मंदिर समिति को सचेत रहने की जरूरत है।
वहीं बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने कहा कि दोनों धामों में जो क्यूआर कोर्ड लगाये गये थे। वह मंदिर समिति ने नहीं लगाये थे और न यह मंदिर समिति के थे। कपाट खुलने के दिन यह दोनों धामों में लगे दिखे थे। मंदिर समिति के अधिकारी-कर्मचारियों ने इन क्यूआर कोड के होर्डिंग को उतार दिया है। इसमें जांच करने के आदेश के साथ ही पुलिस को भी तहरीर दी गई है।