बाबा बागनाथ मंदिर में हजारों की तादात में पहुंचे होल्यार, करीब 50 गांवो के होल्यारो का लगता है जमघट,पौराणिक परंपरा का कर रहे है निर्वहन।



उत्तराखंड में इन दिनों होली का खुमार जमकर छाया है। जगह-जगह होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। वही कुमाऊनी होली का अपना अलग ही अंदाज है। यहां होल्यार पारंपरिक वेशभूषा में होली के गीतों पर नृत्य कर होली मनाते हैं। बागेश्वर में चतुर्दशी होली के मौके पर बागेश्वर स्थित बागनाथ मंदिर में भव्य होली का आयोजन किया जाता है। यहां 50 से भी ज्यादा गांवों से हजारों की तादात में आए होल्यारों बागनाथ मंदिर की परिक्रमा कर भगवान शिव की पूजा आराधना के बाद अबीर गुलाल चढ़ाकर होली गायन करते है

पौराणिक बागनाथ मंदिर में महरगाड़ घाटी के सुनी, सातरतबे, अमसयारीकोट, धारी डोबा, जोलकांडे व दूसरी तरफ गोमती घाटी से रवाई खाल, द्यांगण, बहुली, खोली, कांकड़ा आदि गांवो से करीब 50 से अधिक गांवों के होल्यारों ने पौराणिक परंपरा को जीवंत रखा है। होल्यारो ने भगवान शिव की अराधना कर होली गायन किया। पौराणिक बागनाथ मंदिर में सामूहिक होली गायन की परंपरा कत्यूरी राज के वर्ष से चली आ रही है। होल्यार बागनाथ मंदिर के प्रांगण में एकत्र होते हैं और सारे गांवों की होलियों के आने पर होली गायन किया जाता है। होल्यारों ने हां जी शंभो तुम क्यों न खेलै होरी लला का गायन करने के साथ अन्य होलियो का गान किया।

वही जिला पंचायत अध्यक्ष ने बताया की कुमाऊनी होली की होलियो में बागेश्वर की होली अपना अलग ही रूप है। यहां होलियो हजारों लोग पहुंचते है और प्रेम मोहब्बत का संदेश देते हुए। होलियो का गायन करते है।

वही डाइट प्रवक्ता और होल्यार डॉ राजीव जोशी ने बताया की दोनो घाटियों से आने वाली होली का जब मिलन होता है वो काफी रोचक होता है इस दौरान सेकडो की सख्या में लोग इन होलियो को देखने पहुंचते है बाबा बागनाथ मंदिर में होलियो का मंचन भी काफी शानदार होता है जो हमे हमारी परंपरा से जोड़ता है।

इस मौके पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार, भाजपा महामंत्री संजय परिहार,दरबान बिष्ट,उमेश पांडेय,योगेश जोशी,दीपु नेगी,चंदन परिहार,संजय परिहार,राजेंद्र परिहार,राजकुमार परिहार,गोविंद कथायत,राजकुमार मेहता, आदर्श कठायत, गौरव आदि मौजूद रहे।







