क्रिप्टोकरंसी को लेकर कोई ठोस नियम नहीं होने से निवेशकों में तो दुविधा की स्थिति है ही, बैंक और दूसरी इकाइयां भी उलझन में हैं।
1. क्रिप्टो वर्चुअल करंसी हैं, लिहाजा पहले के KYC रूल्स और दूसरे नियमों से इन्हें रेगुलेट नहीं किया जा सकता। अभी जो कानून हैं, वे इस तरह की चीज को हैंडल नहीं कर सकते। लिहाजा क्रिप्टोकरंसी के लिए अलग से कानून बनाना जरूरी है।
2. क्रिप्टोकरंसी पर 2019 में एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया था कि इस पर पूरी तरह बैन लगा देना चाहिए। उसमें कहा गया था कि इसमें डील करने वालों पर कम 25 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगे और उन्हें 10 साल जेल की सजा का प्रावधान हो। लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया।
3. क्रिप्टोकरंसी पर सरकार ने बिल का जो शुरुआती मसौदा बनाया था, उसमें बाद में बदलाव किया गया। आरबीआई, मार्केट रेगुलेटर सेबी और सरकारी विभागों की राय पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। निवेशकों के हितों का खयाल रखा जाएगा।
4. क्रिप्टोकरंसी से जुड़े टैक्सेशन का जो मसला है, उस पर एक और प्रजेंटेशन होना है रेवेन्यू डिपार्टमेंट, वित्त मंत्रालय और दूसरी इकाइयों के साथ। इस पर तेजी से काम चल रहा है।
5. बजट सेशन में इस बिल को पेश किया जाना था। लेकिन उसमें कुछ बदलाव की जरूरत महसूस हुई। अब ऐसा लग रहा है कि सरकार ने तय किया है कि पूरा बैन नहीं लगेगा, ट्रेडिंग की इजाजत होगी। लेकिन लीगल टेंडर का दर्जा नहीं मिलेगा क्रिप्टोकरंसी को।
6. अभी भी इस बिल पर लॉ मिनिस्ट्री की राय ली जाएगी। फिर कैबिनेट के पास इसे भेजा जाएगा। इस बात की कोशिश की जा रही है कि इस बिल को संसद के विंटर सेशन में पेश कर दिया जाए।