बागेश्वर
भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बने 24 साल पूरे हो चुके हैं। दो दशक से कुछ अधिक के इस सफर में उत्तराखंड अपने आप को उसी चौराहे पर खड़ा पा रहा है, जहां से वह चला था। गांव रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पलायन की मार झेलते हुए वीरान होते जा रहे हैं। गायों के संरक्षण के नाम पर बने कानून ने गौवंश की दुर्दशा को कई गुना बढ़ा दिया है. भाजपा के लिए गाय सिर्फ राजनीति करने का माध्यम है. उसकी दुर्दशा और उसके चलते लोगों को पैदा हुई दिक्कतों से उसे कोई सरोकार नहीं है.
यह बात उन्होंने पिंडारी मार्ग स्थित नरेंद्रा पैलेस में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में ज़मीनों का सवाल एक बड़ा सवाल है। उत्तराखंड को मुकम्मल भूमि सुधार की आवश्यकता है। नए भूमि बंदोबस्त की जरूरत है। बंदोबस्त के बाद सर्वाधिक भूमिहीन आबादी यानि दलितों को भूमि का वितरण किए जाने की जरूरत है। जमीन के सवाल को यदि पहाड़-मैदान की खाई चौड़ा करने के लिए इस्तेमाल किया जाए तो यह जमीन की लूट का मार्ग प्रशस्त करने वाली सत्ता के हाथों खेलना होगा। उत्तराखंड की भाजपा सरकार छात्र संघ, सहकारी समितियों, स्थानीय निकायों और त्रि स्तरीय पंचायतों का चुनाव न करवा कर अपने लोकतंत्र विरोधी रुख का परिचय दे रही है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में खाली होते पहाड़ में सुविधाएं भले ही भाजपा सरकार न पहुंचा पायी हो पर सांप्रदायिक जहर का बीज, दूर-दूर तक बदस्तूर पहुंचाया जा रहा है। “लव जेहाद”, “लैंड जेहाद”, “थूक जेहाद” जैसे आधारहीन, गैरकानूनी और असंवैधानिक जुमलों का निरंतर प्रयोग करके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं इस सांप्रदायिक अभियान की अगुवाई करते नजर आते हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों और संस्थाओं पर हमले की घटनाएं बेहद चिंताजनक है. बांग्लादेश की सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।