ब्लॉक रिसोर्स पर्सन और संकुल रिसोर्स पर्सन की जिम्मेदारी के कारण शिक्षण कार्य से नहीं हो पाने पर निदेशालय सख्त हो गया है। निदेशालय ने 25 जनवरी 2018 को पारित आदेश के तहत बीआरपी की जिम्मेदारी उप शिक्षाधिकारी और सीआरपी की निकटवर्ती विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को देने के निर्देश दिए हैं। निदेशालय का यह निर्णय पठन-पाठन में हो रहे व्यवधान को देखते हुए लिया है। इस निर्णय का असर जिले के कई शिक्षकों पर भी पड़ना तय है।
जिले में 3 बीआरपी और 45 सीआरपी हैं। निर्देश के अनुसार सीआरपी की जिम्मेदारी निकट के विद्यालय के प्रधानाध्यापक को शिक्षण कार्य के अतिरिक्त उठानी है,लेकिन जिले के कई संकुलों में सहायक अध्यापकों के पास भी यह जिम्मेदारी है। सीआरपी की जिम्मेदारी उठा रहे शिक्षक को शिक्षण कार्य के अलावा अपने संकुल के विद्यालयों की डाक आदि को शिक्षाधिकारी कार्यालयों तक पहुंचाने का कार्य भी करना पड़ता है। इसका असर शिक्षण कार्य पर पड़ता है।
समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक बंशीधर तिवारी ने बीते 19 जुलाई को सीईओ/जिला परियोजनाधिकारी समग्र शिक्षा को पत्र जारी कर सीआरपी की जिम्मेदारी उठा रहे शिक्षकों को तत्काल कार्यमुक्त करने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि शिक्षकों को बीआरपी, सीआरपी की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया गया तो सीईओ के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी। बागेश्वर में उप शिक्षाधिकारियों के तीनों पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में तीनों बीआरपी की जिम्मेदारी शिक्षकों के पास ही है। पूर्व से ही यह व्यवस्था चली आ रही थी,आदेश के बाद भी इसमें बदलाव नहीं हुआ है।
वही मुख्य शिक्षाधिकारी गजेंद्र सौन ने बताया की उप शिक्षाधिकारियों के पद रिक्त होने के कारण पूर्व से चली आ रही व्यवस्था के तहत फिलहाल बीआरपी की जिम्मेदारी शिक्षकों के पास है वह शिक्षण कार्य के अतिरिक्त इस जिम्मेदारी को उठा रहे हैं। सीआरपी की जिम्मेदारी नियमानुसार ही संकुल के निकटवर्ती विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को ही सौंपी गई है। वही उन्होंने कहा की बीआरपी-सीआरपी के कारण जिले में पठन-पाठन में व्यवधान का कोई मामला नहीं है। लेकिन निदेशालय के आदेश के बाद भी व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।