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राष्ट्रीय स्तर पर आपदाओं को लेकर निगरानी केंद्र को लेकर मुख्य सचिव एसएस संधू ने अधिकारियो को दिए निर्देश।

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प्रदेश में लगातार आपदाओं को देखते हुए एक राष्ट्रीय स्तरीय निगरानी केंद्र तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। जिसके जरिए न केवल उत्तराखंड और अन्य राज्यो में भी राष्ट्रीय स्तर पर घटनाओं के रोकथाम के लिए कार्य किए जाएंगे। भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र को राष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए मुख्य सचिव एसएस संधू ने संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं।

उत्तराखंड में भूस्खलन की तमाम घटनाओं को लेकर राज्य आपदा विभाग यूं तो अपने स्तर पर निगरानी रखता है, लेकिन अब भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र को और मजबूत करने की कोशिशें की जा रही है। राज्य में भूस्खलन जैसी घटनाओं पर बेहतर तरीके से कार्य किया जा सके. मुख्य सचिव एसएस संधू की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

बैठक में भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के महत्व को देखते हुए इसके स्तर को और बेहतर करने पर चिंतन किया गया. इस दौरान केंद्र को राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और विश्व स्तरीय बनाने की बात भी की गई. इस दौरान मुख्य सचिव ने पहले चरण में उन तमाम क्षेत्रों के अध्ययन के लिए दिशा निर्देश दिए, जहां से अक्सर भूस्खलन की शिकायतें मिलती रही हैं.

खास बात ये है कि ऐसे अध्ययन के लिए विश्वविद्यालयों या तमाम दूसरे शिक्षण संस्थानों को भी इसमें शोध के लिए जोड़ने के लिए कहा गया है. इतना ही नहीं स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को भी इससे जोड़ते हुए उन्हें इससे संबंधित अनुभव प्राप्त करने का मौका देने की भी बात कही गई.

वहीं, बैठक में विभिन्न आपदा से जुड़े संस्थानों के आपसी समन्वय और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे संस्थानों के साथ भी तालमेल रखे जाने की बात दोहराई गई. उधर, भूस्खलन जोन के ट्रीटमेंट के लिए बायोइंजीनियरिंग सॉल्यूशन पर ध्यान देने के लिए भी कहा गया है. आज इसके लिए बकायदा एक सेल का गठन करने के भी निर्देश दिए गए.

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