जिले में लगातार हो रही भारी बारिश व हिमपात के बीच बंगाल के पांच ट्रैकरों सहित 12 सदस्यो ने उच्च हिमालयी क्षेत्र में ट्रेल पास फतह किया। यह दर्रा 5312 मीटर का है। वह बागेश्वर की तरफ से चढ़े और मुनस्यारी में सुरक्षित उतर गए। हालांकि 12 सदस्यीय टीम को हिमपात के कारण काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
15 सितंबर के बाद हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैकिंग प्रारंभ होती है। जैसे ही ट्रैकिंग शुरू हुई, वर्षा का सिलसिला तेज हो गया। जिसके कारण हिमपात भी होने लगा है। 25 सितंबर को बागेश्वर से जिले के अंतिम गांव खाती पहुंचे। वहां से गाइड दिनेश सिंह दानू के नेतृत्व में पांच बंगाली ट्रैक्र समेत 12 सदस्यीय दल पिंडारी की तरफ रवाना हुआ।
दल 26 सितंबर को खाती से द्वाली पहुंचा। 26 सितंबर को द्वाली से पिंडारी पहुंचा। जहा उन्होंने बेस कैंप बनाया। वहां से वह एडवांस बेस कैंप पहुंचे। एडवांस बेस कैंप से कैंप वन में भारी हिमपात होने लगा। जिससे ट्रैकरों की दिक्कतें बढ़ गई। वह कैंप वन नहीं पहुंच सके। पूरी टीम ने हौंसला रखा और मां नंदा देवी को प्रणाम किया। उसके बाद दूसरे दिन कैंप वन के लिए रवाना हुए।
अगले दिन कैंप टू से ट्रेल पास 5312 मीटर होते हुए रात आठ बजे मोरने कैंप पहुंच गए। वहां से नंदा देवी बेस कैंप होते हुए राताडंठल पहुंचे। मरतोली, रिकलकोट, बुगउड्यार से लीलम, मुन्सयारी सकुशल लौट आए। गाइड दानू ने बताया कि उनके साथ इंद्र सिंह, प्रवीण सिंह, गोविंद सिंह, महिपाल सिंह, कृपाल सिंह के अलावा पांच बंगाली ट्रैकर पार्थो घोष, रंजन दत्ता, तपस हर, विजय कांत, प्रशांत कुमार आदि ने ट्रेल पास किया। उन्होंने पूरी साहसिक यात्रा में साहस दिखाया। जिससे स्थानीय गाइड भी काफी प्रभावित हैं।