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सड़क न होने पर डोली के सहारे बीमार महिला को पहुंचाया चिकित्सालय

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बीमार बुजुर्ग महिला को डोली से लाते ग्रामीण

यूं तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अनेक गांव सड़क सुविधा से जुड़ गए हैं, लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां के बाशिंदे मोटर मार्ग के लिए भारी जद्दोजहद कर रहे हैं। 21वीं सदी की ऐसी ही तस्वीर ही आज सामने आयी है। जहां बागेश्वर के कपकोट के ग्वाड़ गाँव के ग्रामीणों ने सड़क के अभाव मे बीमार बुजुर्ग महिला को डोली मे बैठा के 5 किमी तक का पैदल सफर तय कर,मुख्य सड़क तक लाए,फिर महिला को चिकित्सालय पहुचाया।

इस दौरान ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों से भी गुजरना पड़ा। हालांकि यहां के लोगों के लिए 7 साल पहले ही सड़क बना दी गयी थी पर उसके बाद उस सड़क की तरफ ना विधायक ने देखा ना विभाग ने सड़क आज भी जस की तस है।

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सड़क बनने के बाद भी सड़क सुविधा ग्रामीणों के लिए आज भी सपना है। हालत यह है कि बीमार लोगो को गांव से मुख्य सड़क तक लाने के लिए डोली ही एक मात्र सहारा है। वही गर्भवती महिलाओं को भी कई बार डोली से ही लाया जाता है जो काफी जोखिम भरा भी होता है। स्कूली बच्चे भी सड़क के अभाव मे खतरनाक जंगली रास्तों से ही स्कूल जाने को मजबूर है। ग्रामीण हरीश स्युनेरी ने बताया कि वह इस सड़क के लिए लम्बे समय से विभाग व विधायक से कहते आ रहे है पर आस्वासन के अलावा कभी कुछ नही मिला।

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ग्रामीणों के भारी दबाव पर 2015 में ग्वाड़ मोटर मार्ग का निर्माण किया गया। लेकिन निर्माण कार्य आज 7 साल बाद भी पूरा नही हो पाया है। नतीजा आज भी ग्रामीणों को मीलों की दूरी पैदल ही नापनी पड़ रही है। वह भी कठिन रास्तों से। राशन समेत अन्य सभी घरेलू सामान सिर में रखकर ले जाना उनकी मजबूरी में शुमार है। गांवों में किसी के बीमार हो जाने पर उसे पालकी या डोली में बिठाकर सड़क तक पहुंचाने को ग्रामीण विवश हैं। आज भी ग्रामीण गाव की बुजुर्ग महिला के बीमार होने पर उनको डोली मे बैठा कर 5 किमी तक का पैदल सफर तय कर महिला को जिला अस्पताल इलाज के लिए लाए। ग्रामीणों ने इस सब परेशानियों के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर निशाना साधा। और कहा कि अगर सच्च मे विधायक या अन्य जनप्रतिनिधियो को ग्रामीणों की समस्या समझ आती होती तो सड़क के पूरे होने का इतना इंतजार ग्रामीणों को नही करना पड़ता।

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