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पंचायत चुनाव में हाईकोर्ट का आया बड़ा आदेश,दो जगह नाम वाले….

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नैनीताल- त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर एक बार फिर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग के उस आदेश पर रोक (स्टे) लगा दिया है, जिसमें नगर निकाय और ग्राम पंचायत, दोनों जगह के मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की छूट दी गई थी।

हाईकोर्ट ने चुनाव याचिका को सुनते हुए एक व्यक्ति एक वोटर के नियम का सख्ती से पालन करने को कह दिया है। मुख्य न्यायाधीश जे नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग के बीती 6 जुलाई के स्पष्टीकरण आदेश पर रोक लगा दी है।

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हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि कोई भी व्यक्ति एक ही समय में नगर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से चुनाव नहीं लड़ सकता। यदि किसी व्यक्ति का नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में है, तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि संविधान की भावना और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के भी खिलाफ है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि रुद्रप्रयाग निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शक्ति सिंह बर्थवाल ने हाईकोर्ट में चुनाव संबंधी याचिका डाली थी।

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उन्होंने, कहा कि विगत 6 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्टीकरण नोटिस निकालकर सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को ये छूट दे दी कि वो पंचायती अधिनियमों की अन्य धाराओं के अंतर्गत आवेदनों की जांच करें। अभिजय ने कहा कि नियमानुसार एक व्यक्ति एक जगह का वोटर ही हो सकता है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना को सही मानते हुए 6 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी है।

न्यायालय ने कहा कि, चुनाव एक्ट के अनुसार ही कराए जाएंगे अर्थात एक इंसान एक जगह का वोटर ही हो सकता है और एक जगह ही चुनाव लड़ सकता है।

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याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि जब देश में दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में नाम दर्ज होना अपराधिक श्रेणी में आता है, तो उत्तराखंड में ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति कैसे दी जा रही है!

कोर्ट के इस फैसले के बाद उन सभी उम्मीदवारों को बड़ा झटका लग सकता है, जिनके नाम दो जगह की मतदाता सूची में दर्ज हैं।

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