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बुद्ध पूर्णिमा का पर्व पारंपरिक श्रद्धा और सद्भाव के वातावरण में मनाया गया।

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बुद्ध पूर्णिमा पर हुआ बुद्ध वंदना, पुष्प अर्पित, भगवान बुद्ध के जीवन की कथा वाचन, अंत में खीर भोज ग्रहण का कार्यक्रम आयोजित।

बुद्धपूर्णिमा को त्रिविध पावनी बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं क्योंकि पूर्णिमा को ही भगवान बुद्ध की सिद्धार्थ गौतम के रूप में लुंबिनी में जन्म हुआ था और पूर्णिमा को बोधगया में बुद्ध का ज्ञान बुद्ध का ज्ञान प्राप्त हुआ जिससे बुद्ध थे और पूर्णिमा के दिन ही सारनाथ में प्रथम धर्म उपदेश देकर बुद्ध धर्म की शुरुआत हुई थी और पूर्णिमा के दिन ही तथागत बुद्ध का कुशीनगर में महापरिनिर्वाण हुआ था इस प्रकार से पूर्णिमा को ही भगवान बुद्ध का जन्म ज्ञान मृत्यु दिवस है इसलिए ही इसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है इसलिए तीनों कारण से ही बुद्ध पूर्णिमा बहुत ही महत्वपूर्ण होती है बुद्ध पूर्णिमा पूरी दुनिया में बौद्ध महोत्सव के रूप में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं बुद्ध के बताए गए पांच पंचशील 1 अकारण हत्या न करना 2 चोरी न करना 3 व्यभिचार न करना 4 झूठ ना बोलना 5 नशा पान नहीं करना। इन सभी वाक्यों को सभी के द्वारा दोहराया गया उसके पश्चात बुद्ध के जीवन पर आधारित कथा का वाचन किया गया कक्षा 10 में पढ़ने वाले छात्र ईश्वर प्रकाश द्वारा बुद्ध कथा का बेहतरीन वाचन किया और बुद्ध के जीवन उपदेशों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई उसके पश्चात हेमलता द्वारा भी तथागत बुद्ध के स्त्रियों के संबंध में विचारों से अवगत कराया गया और बुद्ध की शिक्षाओं के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई कार्यक्रम के अंत में संजय कुमार टम्टा द्वारा तथागत बुद्ध के विषय में एवं उनकी शिक्षाओं की जानकारी सभी को दी गई सभी लोगों ने अंत में खीर भोज ग्रहण किया गया।

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