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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत कोश्यारी पहुँचे पैतृक गांव नामती चेताबगड,युवाओ से नेतागिरी मे कम घ्यान देने की दी नसीहत

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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी आज अपने पैतृक गांव नामटी चेटाबगड़ पहुंचे। इस दौरान ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर प्रशासन ने उन्हें गार्ड आफ आर्नर दिया। कार्यक्रम में कोश्यारी ने अपने ठेठ पहाड़ी अंदाज में दिखे और ठेठ पहाड़ी अंदाज में ही ग्रामीणों को संबोधित किया। उन्होंने कहा सभी से अपनी पारंपरिक खेती में ध्यान देने को कहा। साथ ही पहाड़ के युवाओं को शिक्षा पर ध्यान देने को कहा। साथ ही मजाक मजाक मे कहा की मैंने थोड़ा और पढ़ा होता तो राज्यपाल नहीं पीएम होता।

कोश्यारी आज नामटी चेटाबगड़ पहुंचे जहां ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया। वही प्रशासन की ओर से जिलाधिकारी विनीत कुमार व एसपी अमित श्रीवास्तव भी वहां मौजूद रहे। पुलिस ने उन्हें गार्ड आफ आनर दिया।
सम्मान समारोह में भगत सिंह कोश्यारी ने अपने ठेठ पहाड़ी अंदाज ही नजर आए और कहा कि मां भगवती की कृपा व जनता के आशीर्वाद से विभिन्न पदों में रहने के साथ ही मैं मुख्यमंत्री बना और नैनीताल की जनता ने लोकसभा में भेजा। राष्ट्रपति ने मुझे आपके प्रेम व मां भगवती की कृपा से महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया। मैं राज्यपाल पद संभालने के बाद मां भगवती का आशीर्वाद लेने आया हूं। कहा कि पहाड़ की महिलाएं अपनी संस्कृति को बचाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं।
बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि कल्याण राम उनको रमाड़ी की चढ़ाई में पीठ में ले जाते थे। मैं गांव से पिथौरागढ़ तक पैदल गया हूं। मेरे माता पिता ने मुझे खेती करके पढ़ाया है। उन्होंने युवाओं से पढ़ाई के साथ ही पारंपरिक खेती पर ध्यान देने को कहा। कहा कि सरकार ने विकास किया तो अब सड़क से चल रहे हैं। पहाड़ में खेती की संभावनाएं हैं। उन्होंने भीम सिंह कोरंगा के शामा में किवी की खेती को युवाओं के लिए आदर्श बताया। कोश्यारी केंद्र व प्रदेश सरकार के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान राशि देकर किसानों के हित में कार्य किया है। कोश्यारी ने अपने पहाड़ी अंदाज में युवाओं से पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। कहा कि मेहनत के बाद भी कम ही पढ़ पाया तो राज्यपाल बन गया। यदि और अधिक पढ़ा होता तो देश का प्रधानमंत्री बन जाता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा नेता देश को मिलना देश का सौभाग्य है। कोश्यारी ने युवाओं से नेतागिरी में न आने को कहा। कहा कि नेतागिरी में काफी मेहनत भी है तो इसके लिए हर मोर्चे के लिए तैयार रहना होता है। कहा कि नेतागिरी में फूलों की मालाएं मिलती हैं तो कई जगह जूतों की माला भी पड़ती है। उन्होंने अपने पूरे भाषण को बागेश्वर की पहाड़ी भाषा में ही दिया तथा महिलाओं के मेहनत की तारीफ की साथ ही युवाओं के सामाजिक कुरीतियों की ओर बढ़ने पर चिंता व्यक्त की।

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