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आजादी के अमृत काल में बुजुर्ग ने रेडक्रॉस सचिव को भेंट किया 52 साल पुराना गांधी चर्खा

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बागेश्वर। आजादी के अमृत काल में बिजोरी के ग्रामीण ने रेडक्रॉस के जिला सचिव को गांधी चर्खा भेंट किया। इस चर्खे की मदद से विद्यार्थियों को आजादी के बाद अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और स्वरोजगार के लिए चर्खे की भूमिका और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चर्खे से संबंध को बताने में किया जाएगा।
वर्तमान में ठाकुरद्वारा में रहने वाले 75 वर्षीय बसंत बल्लभ पांडेय और उनकी पत्नी अंबा पांडेय ने रेडक्रॉस के जिला सचिव आलोक पांडेय को चर्खा भेंट किया। उन्होंने यह चर्खा 52 साल पहले अमरकोट के चर्खा उद्योग से खरीदा था। पांडेय ने बताया कि जब उनके पास रोजगार नहीं था, यही चर्खा परिवार के पालन पोषण में मददगार बना। चर्खे पर ऊन कात कर घर का खर्च चलाया था। करीब सात साल पहले तक कभी कभार चर्खे पर ऊन काता। जिसके बाद से यह खाली घर में रखा था। जिला सचिव पांडेय ने कहा कि चर्खे से महात्मा गांधी का नाम जुड़ा है। इसकी मदद से विद्यार्थियों के स्किल इंडिया और देश की अर्थव्यवस्था में चर्खे जैसे उपकरणों की भूमिका बताने में मदद मिलेगी।

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