प्रदेश सरकार के एक एक्ट संशोधन ने ukssc में भर्ती की राह को रोक दिया है। स्थिति यह है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास अब महज अगले 6 महीने तक का ही काम बचा है। ऐसे में आयोग की नजर उस एक्ट में बदलाव को लेकर है। जिसे ठीक एक साल पहले पेपर लीक मामलों के चलते संशोधित किया गया था।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने विभिन्न परीक्षाओं को लेकर आगामी कार्यक्रम जारी कर दिया है। इस दौरान करीब 1400 भर्तियों से जुड़े कलेंडर पर आयोग ने काम भी शुरू कर दिया है और इसी महीने 29 सितंबर को भर्ती से जुड़ी पहली विज्ञप्ति भी जारी कर दी जाएगी। लेकिन यूकेएसएसएससी के पास इन भर्तियों को पूरा करने के बाद कोई काम नहीं रह जायेगा। ऐसा 14 सितंबर 2022 यानी ठीक एक साल पहले एक्ट में हुए उस संशोधन के कारण होगा। जिसके चलते उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कराई जाने वाली तमाम भर्तियों को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को स्थानांतरित कर दिया गया था।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तरफ से अब संबंधित एक्ट में एक बार फिर संशोधन की डिमांड की गई है, ताकि आयोग को फिर से उन भर्तियों की जिम्मेदारी मिल सके। जो पूर्व में उन्हीं के द्वारा आहूत की जानी थी। प्रदेश में करीब एक साल पहले विभिन्न भर्तियों में पेपर लीक का मामला चर्चाओं में रहा था। खास बात यह है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कराई गई कई भर्तियों में धांधली होने की बातें भी सामने आई थी। जिसके बाद तमाम जांचों के आधार पर कुछ भर्तियों को रद्द भी किया गया था।
उत्तराखंड में यह मामला सामने आने के बाद करीब सात हजार पदों वाली भर्तियों को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से हटाकर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को दे दिया गया था। इसके लिए 9 सितंबर 2022 को कैबिनेट की बैठक के दौरान सर्वसम्मति से मंत्रिमंडल ने भर्तियों को यूकेएसएसएसी से हटाए जाने का निर्णय लिया था. कैबिनेट के इस फैसले के बाद एक्ट में संशोधन के कारण अब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास भर्तियों की कमी दिखने लगी है. हालांकि सितंबर से लेकर मार्च तक आयोग कई भर्तियों को करने जा रहा है, लेकिन इसके बाद अधियाचन नहीं आने की स्थिति में यूकेएसएसएससी के पास काम नहीं रहेगा.
इस मामले को लेकर आयोग की तरफ से सरकार को पत्र भेजा जा चुका है. उधर सरकार के ऊपर भी खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरने का दबाव है. भाजपा के घोषणा पत्र में भी करीब 25 हजार खाली पड़े पदों को भरे जाने का वादा किया गया था. लिहाजा अब धामी सरकार पर इन पदों को भरे जाने का दबाव है. जबकि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग अकेले इतनी ज्यादा भर्तियां कर पाने में सक्षम नहीं है. ऐसे में इन भर्तियां को जल्द से जल्द पूरा करना है तो उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भी भर्तियां देनी होंगी






